वैक्सीन आने के पहले भारत को इन 5 चीजों की तैयारी कर लेनी चाहिए?

वैक्सीन आने के पहले भारत को इन 5 चीजों की तैयारी कर लेनी चाहिए?

रोहित पाल

आज के समय दुनियाभर के वैज्ञानिकों का ध्यान कोरोना की वैक्सीन विकसित करने में केंद्रित है। इसलिए पहले से ही प्रभावी डिस्ट्रीब्यूशन और यूटिलाइजेशन की तैयारी हो। हालांकि कुछ चीजें हैं जिनके लिए भारत को खुद को तुरंत तैयार करने की जरूरत है।

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पहला-

हमें पब्लिक और प्राइवेट दोनों सेक्टर में स्वास्थ्य सुविधा देने वालों,  स्वास्थ्य सुविधाओं, डोनर, जियोग्राफिक/एडमिनिस्ट्रेटिव क्षेत्रों और एडमिनिस्ट्रेटर्स की एक सटीक डायरेक्टरी यानी लिस्ट बना लेनी चाहिए।  वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन और डिलीवरी को मैनेज या मॉनिटर करने के लिए इसी डायरेक्टरी यानी लिस्ट की जरूरत पड़ेगी। हर स्वास्थ्य सुविधा केंद्र और हर क्षेत्र के सभी स्वास्थ्य सुविधा देने वालों की लिस्ट भी टीकाकरण अभियान के दिन काफी मदद करेगी।

दूसरा-

डायरेक्टरी यानी लिस्ट, लोगों की संख्या की जानकारी से वैक्सीन की जरूरत के बारे में पता करने, जियोग्राफिकल यानी क्षेत्रों का नक्शा तैयार करने और टीकाकरण कार्यक्रम विकसित करने और कवरेज की निगरानी करने में मदद करेगी। यह अपने आप में एक बड़ा प्रयास होगा। इसलिए महामारी में भारत सरकार 2011 के जनगणना डेटाबेस ही काम आ सकता है और हम उन नीतियों पर विचार करें और खुद को तैयार करें, जो इसमें काम आएंगी। इसके अलावा जनसंख्या गणना की मदद से ज्यादा जोखिम वाले लोगों की पहचान हो सकेगी।

तीसरा-

हमें ऐसे ट्रैक सिस्टम की जरूरत है जिसके द्वारा फैक्ट्री से वैक्सीन लेने वालों के बीच हो रहे काम पर नजर रखी जा सके। यह इसलिए जरूरी है ताकी इससे टीकाकार सही से हो और आंकड़ों की हेराफेरी को रोका जा सके। वैसे हमारे पास ट्रैकिंग के दो तरीके हैं जैसे कि मौजूदा समय में बच्चा टीकाकरण प्रोग्राम में किया जा रहा है। हमें ऐसे ही प्रोग्राम या कार्यक्रम के अपने अनुभव से सीखना चाहिए और एक अच्छा संगठित सिस्टम बनाना चाहिए।

चौथा-

भारत को इससे संबंधित सभी आंकड़ों को डिजिटलीकरण करने की जरूरत है। हमें पब्लिक के लिए पहली डोज मिलने से पहले डिजिटल सिस्टम को पूरी तरह से डेवेलप और टेस्ट करना चाहिए।

पांचवा-

हमें समय रहते मानव संसाधन, हार्डवेयर और बुनियादी सहित जरूरी संसाधनों की खरीद कर लेनी चाहिए, जिसमें कोल्ड चेन, प्लस मोबाइल फोन और सभी टीका लगानेवालों के लिए वास्तविक समय का डेटा जानने के लिए डाटा प्लान आदि शामिल है।

हमें प्राथमिक स्तर पर वैक्सीन से संबंधित साइड इफ़ेक्ट को मैनेज करने के लिए प्रोवाइडर्स को ट्रेन करने, वैक्सीन रिसीवर को अलग-अलग भाषाओं में एजुकेशनल और अवेयरनेस देने, लोगों की शिकायत को सुनने के लिए एक सिस्टम और लेखा जोखा करने के लिए एजेंसियों को किराए पर लेने की भी जरूरत होगी।

अगर देखा जाए तो कोरोना के टीकाकारण के लिए टीका लगानेवालों के पास ज्यादा काम होगा, इसलिए राज्यों को एक ऐसे इंसेंटिव सिस्टम को तैयार करना चाहिए ताकि टीका लगानेवालों को प्रेरित किया जा सके।

फ़िलहाल अभी यह पक्का नहीं है कि वैक्सीन आएगी, लेकिन हमें ये तैयारी अभी करनी होंगी, ताकि भारत ज्यादा से ज्यादा यानी बड़े पैमाने पर टीकाकरण कर सके।

 

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